गिलोय के काढ़े से बढ़ाएं, रोग प्रतिरोधक क्षमता
गिलोय का काढा बनाने के लिए सामग्री
✓गिलोय के एक एक इंच केे पांच टुकड़़े
✓दो कप पानी
✓एक चम्मच हल्दी
✓ 2 इंच अदरक का टुकड़ा
✓6-7 तुलसी के पत्ते
✓ स्वादानुसार गुड
बनाने का आसान तरीका
✓ एक तपेली में दो कप पानी को मीडियम आंच पर उबलने के लिए रख दे।
✓ अब बाकी सभी सामग्री को डालें और गिलोय भी डाल दे।
✓ फिर धीमी आच पर इसे पकने दें।
✓ जब पानी आधा रह जाए और सभी चीजें अच्छे से पक जाए तो गैस को बंद कर दे।
✓ किसी कपड़े या छन्नी से इसे छानकर कप में डालें और चाय की तरह पिएं।
आयुर्वेद में कई रोगों के इलाज में गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है। यह काफी सस्ती आयुर्वेदिक औषधि होती है। गिलोय को गुड्डूची या अमृता के नाम से भी जाना जाता है। गिलोय का रस, और काढा, डेंगू, चिकनगुनिया, बुखार जैसी गंभीर बीमारियों में दिया जाता है। इसके अलावा बदलते मौसम में गिलोय कई तरह से यह वायरल और बैक्टिरियल इंफेक्शन से भी बचाता है।
कितनी मात्रा में पिए काढ़ा
गिलोय का काढ़ा आपको प्रतिदिन एक कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए। एक कप से ज्यादा मात्रा में काढ़ा पीने से आपको नुकसान भी हो सकते हैं। अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको डॉक्टर की परामर्श के बाद ही इसे पीना चाहिए।
गिलोय का काढ़ा पीने के फायदे।
✓ रोजाना गिलोय का काढ़ा पीने से शरीर कई तरह के इंफेक्शन और संक्रामक तत्वों से बचा जा सकता है ।
✓ गिलोय का काढ़ा पीने से इम्युनिटी की क्षमता बढ़ती है। इसमें मौजूद अदरक और हल्दी मिलकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करते हैं।
✓ डायबिटीज कंट्रोल करने में भी गिलोय के फायदे हैं ।आयुर्वेद में डायबिटीज के मरीजों को गिलोय खाने की सलाह दी जाती है।
✓ गठिया रोग में भी गिलोय बहुत लाभदायक होता है।
✓ डेंगू में प्लेटलेट्स कम होने पर भी गिलोय का सेवन किया जाता है जिससे काफी तेजी से प्लेटलेट्स बढ़ते हैं।
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