कहीं आप में हार्ट अटैक की संभावना तो नहीं ?

कहीं आप में हार्ट अटैक की संभावना तो नहीं ?


दिल के दौर का खतरा हम खुद ही बढ़ाते हैं। इसके अधिकांश कारणों पर अगर हम तो नियंत्रण पा सकते हैं। आवश्यकता इन कारणों को ठीक से जानने और सचेत रहने की है। हम असमय मौत को अपने से दूर धकेल सकते हैं ....

दिल के दौरे का खतरा बढ़ाने वाले कारण क्या हैं यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने दुनिया के हर क्षेत्र के लोगों के बीच अध्ययन किए हैं। इन अध्ययनों से पता चलता है कि हृदय रोग का कोई एक कारण नहीं है। इसके बजाय ऐसे कई कारण सामने आए हैं जो अकेले या आपस में मिलकर दिल के दौरे का खतरा बढ़ा देते हैं।

यह एक तथ्य है कि कुछ लोगों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा दूसरों से ज्यादा होता है, यहां हम इसके कारणों की चर्चा कर रहे हैं संतोष की बात यह है कि इनमें से अधिकांश कारण ऐसे हैं जिन पर आप नियंत्रण पा सकते हैं। 

1. वंशानगत :

पांच सौ लोगों में एक व्यक्ति ऐसा होता है जिसके रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल का कारण वंशानुगत अर्थात खानदानी होता है। डाक्टर इस स्थिति को फैमिलियल हाइपर कोलेस्ट्रॉलोमिया या एफ.एच. कहते हैं। ऐसे लोगों के शरीर में एक ऐसा 'जीन' होता है जो अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटाने की शरीर की क्षमता कम कर देता है। ऐसे लोगों को उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल से ग्रस्त अन्य व्यक्तियों की तुलना में दिल का दौरा पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है, क्योंकि उनमें यह गड़बड़ी जन्म से होती है। साथ ही यह अक्सर अन्य लोगों की तुलना में अधिक गंभीर हालत में भी होती है।

अगर आपके पिता, मां, भाई या बहन को 60 वर्ष से कम उम्र में दिल का दौरा पड़ा हो, अगर उनका रक्त कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ा हुआ हो या वे एफ.एच. होने की आशंका होगी।

अगर मां या बाप में किसी एक में एफ.एच. हो तो उनके आधे बच्चों में यह गड़बड़ी हो सकती है। अगर मां और बाप दोनों में यह गड़बड़ी है तो उनकी कुछ संतानों में बहुत गंभीर किस्म का एफ.एच. हो सकता है। 30 वर्ष से ऊपर के 5,200 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से जाहिर हुआ कि मां या बाप में से किसी एक के हृदय रोग से मर जाने की अवस्था में उनकी संतानों को दिल का दौरा पड़ने की आशंका 30 प्रतिशत बढ़ जाती है।


2.यौन :

महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने की स्थिति पुरूषों से अलग होती है। रजोनिवृति से पहले की अवस्था में महिलाओं को बहुत कम ही दिल का दौरा पड़ता है क्योंकि 'एस्ट्रोजन' हारमोन उनका बचाव करता है। इस कारण 45 से 50 वर्ष कीउम्र के बीच पुरूषों के हृदय रोग से मरने की आशंका महिलाओं की तुलना में पांच गुना ज्यादा होती है। लेकिन रजोनिवृति के बाद महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है और उनके लिए भी खतरा पुरूषों के बराबर हो जाता है।

3. उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल :

कोलेस्ट्रॉल एक सफेद, मोम मी तरह का पदार्थ होता है। कोशिका झिल्लियों (cell membrane) और हारमोन बनने के लिए यह आवश्यक है। लेकिन रक्त में अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल हो जाने से चरबी हृदय धममियों में जम सकती है। यही हृदय रोग का कारण बन जाता है। कुछ कोलेस्ट्रॉल यकृत उत्पन्न करता है जबकि यह कुछ उस खाद्य में भी होता है जिसे आप खाते हैं।
पिछले दशक में व्यापक अनुसंधानों का निष्कर्ष रहा कि रक्त में हर एक प्रतिशत कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर दिल के दौरे का खतरा दो प्रतिशत बढ़ जाता है। अध्ययनों से पता चला है कि प्रति डेसीमीटर 200 मिलीग्राम से कोलेस्ट्रॉल स्तर जैसे ही बढ़ता है दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ने लगता है। प्रति डेसीलीटर 200 से 240 मिलीलीटर कोलेस्ट्रॉल स्तर वाला व्यक्ति खतरे की सीमा पर रहता है। यह स्तर 240 से बढ़ने पर व्यक्ति अत्यंत खतरे की स्थिति में चला जाता है।

कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं और आपके रक्त में इनका अनुपात आपमें के वास्तविक खतरे को निर्धारित करता है। हृदय रोग अगर आपके रक्त में संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल स्तर अधिक है तो आपको वास्तविक खतरा जानने के लिए दो अन्य बातें जाननी होंगी। ये बातें हैं एल.डी.एल. (न्यून घनत्व लिपोप्रोटीन) और एच. डी.एल. (उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन) का स्तर । एल.डी.एल. बुरा कोलेस्ट्राल कहा जाता है । यह पूरे शरीर में चक्कर लगाता है और कहीं धमनी की दीवार पर जम सकता है । सौभाग्य की बात है कि एल.डी.एल. कोलेस्ट्राल के साथ एच.डी.  कोलेस्ट्राल भी होता है जिसे अच्छा कोलेस्ट्राल माना जाता है । यह धमनियों में जमी चरबी की सफाई करता है और इस तरह हृदय रोग से हमारी रक्षा करता है।

ताजे अनुसंधानों के मुताबिक हृदय रोग का खतरा कितना है यह निर्धारित करने में भी एच.डी.एल. स्तर महत्वपूर्ण हो सकता है। जिन लोगों में एच डी एल स्तर अधिक है (पुरुषों में करीब प्रति डेसीलीटर 45 मिलीग्राम और महिलाओं में प्रति डेसीलीटर 55 मिलीग्राम से ज्यादा) उन्हें दिल का दौरा पड़ने की आशंका उन लोगों से कम होती है जिनमें यह स्तर कम है। हाल के कई अध्ययनों में बताया गया है कि अगर एच डी एल का स्तर कम रहे (35 से कम) तो खतरा बढ़ जाता है, भले आपका संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल स्तर सुरक्षा की सीमा के भीतर ही हो। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का मुख्य कारण भोजन में इसकी अधिक मात्रा होती है। दूध मांस, दूध से बने वसा वाले खाद्य नारियल एवं चरबी वाले तेल कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ा देते हैं।

 4. आयुः    
 निश्चित रूप से आयु बढ़ने के साथ-साथ दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता जाता है। वृद्ध होने के साथ-साथ धमनियां सिकुड़ने लगती हैं जो दिल के दौरे का कारण बन जाता है। वैसे यह प्रक्रिया आपके जवान रहते ही शुरू हो जाती है। इस बात के प्रमाण मिल रहे हैं कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ एल डी एल और संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ने लगता है। अधिक आयु  वालों में मोटापा तथा शरीर में चरबी जमा होने का एक कारण यह भी हो सकता है।


5.मोटापा :
शरीर में चरबी बढ़ने का मतलब है कि अधिक रक्त वाहिनी नलिकाओं की जरूरत पड़ेगी। और इसका अर्थ है उनमें रक्त प्रवाहित करने के लिए ज्यादा रक्त चाप । अगर आपके मोटापे का कारण अधिक चरबी युक्त भोजन है (जो कि सामान्यतः होता है) तो यह चरबी आपका रक्त कोलेस्ट्रॉल स्तर भी बढ़ा सकती है । अध्ययनों से पता चलता है कि मोटे लोगों में एल डी एल स्तर भी ज्यादा होता है। इससे मुक्ति का उपाय वजन घटाना ही है। आपके मोटा होने के साथ-साथ आपके उच्च रक्तचाप एवं मधुमेह से पीड़ित होने की आशंका भी बढ़ती जाती है। और ये दोनों रोग दिल के दौरे का कारण बन सकते हैं।

6. मधुमेह :
मधुमेह वस्तुतः दिल के दौरे का खतरा दोगुना कर देता है। मधुमेह से धमनियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। साथ ही इस रोग के  कारण धमनियों के सख्त होने की रफ्तार भी बढ़ जाती है।


7.उच्च रक्तचाप :
उच्च रक्तचाप के कारण हृदय पर अधिक जोर पड़ता है। ज्यादा रक्तचाप के कारण धमनियों की नाजुक अंदरूनी रेखाएं  क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और उनकी सतह का क्षय होने लगता है। इसलिए उच्च रक्तचाप के मरीजों को दिल का दौरा पड़ने की काफी आशंका रहती है। यह बात खासकर 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए ज्यादा सच है।

8. अन्य रोग :

कभी-कभी कुछ अन्य रोगों मसलन अवटु ग्रंथि की निष्क्रियता (hyperthyroidism) और गुर्दे की बीमारी के कारण भी रक्त कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। इससे हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है।

9. दवाएं :

गर्भनिरोधक गोलियां तथा रक्तचाप की कुछ दवाएं आपमें कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ा सकती

10. धूम्रपान :

अगर आप सिगरेट पीते रहे हैं तो दिल के दौरे से मरने का खतरा आपके लिए दोगुना हो जाता है। अगर आप बहुत ज्यादा धूम्रपान करते हैं तो आपके जवानी में ही हृदय रोग से मरने का खतरा और ज्यादा है। उदाहरण के लिए मान लीजिए कि 50 वर्ष का एक व्यक्ति रोज 20 सिगरेट पीता है, तो उसके सिगरेट नहीं पीने वाले व्यक्ति की तुलना में हृदय रोग से ग्रस्त होने का खतरा चार गुना ज्यादा होगा। धूम्रपान करने पर महिलाओं के लिए खतरा भी पुरूषों के जितना ही होता है। खासकर अगर महिला 35 साल से अधिक की हो और गर्भ निरोधक गोलियां खाती हो तो उसके खतरा और ज्यादा होगा। 

धूम्रपान का हृदय पर किस तरह असर होता है?तंबाकू में निकोटिन होता है जो नाड़ी धड़कने की दर और रक्तचाप बढ़ देता है। तंबाकू में कार्बन मोनो आक्साइड होता है जो रक्त में आक्सीजन की कटौती कर देता है। ऐसी स्थिति में आपके हृदय को अधिक काम करना पड़ता है जबकि उसे कम आक्सीजन प्राप्त हो पाता है।

धूम्रपान से हृदय की धमनियों का क्षय भी होता है। इसके अलावा तंबामू एच डी एल स्तर भी घटा देता है। अगर आप धूम्रपान छोड़ दें तो एच डी एल स्तर बढ़ जाएगा और हृदय रोग का खतरा कम हो जाएगा। अध्ययनों से पता चला है कि धूम्रपान छोड़ देने पर उस कारण दिल के दौरे का बढ़ा खतरा समाप्त हो जाता है।

11. तनाव :

अनेक अध्ययनों के ज़ाहिर हुआ है कि तनाव से रक्त कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ जाता है। ऐसा क्यों होता है, इसका वास्तविक कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सकता है। पर इसका कारण संभवतः यह है कि तनाव शरीर में इकट्ठी चरबी को रक्त में जाने के लिए उत्प्रेरित कर देता है में लंबे समय तक तनाव में रहने से रक्तचाप बढ़ जाता हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ