वेरीकोज वेन्स (Varicose veins)/ मकड़ी नस

                    वैरिकोज वेन्स (Varicose veins)

 वेरीकोज वेन्स / मकड़ी नस वे नसें होती हैं जो त्वचा की ऊपरी सतह से उभरी हुयी दिखाई देती हैं। अधिक दबाव पड़ने के कारण नसों के वाल्व (द्वार) खराब हो जाते हैं जिसकी वजह से ऐसा होता है। सूजीं, मुड़ीं हुईं और उभरी हुयी ये नसें लाल या नीले रंग की होती हैं जो मुख्य रूप से जाँघों या पिंडलियों में दिखाई देती हैं। महिला एवं पुरुष दोनों में होने वाली समस्या है. लम्बे समय तक एक ही मुद्रा या स्थिति में खड़े रहने की वजह से भी वेरिकोज़ वेन्स की समस्या पैदा हो जाती है. इस समस्या का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड की मदद ली जाती है. वेरिकोज़ वेंस का इलाज विज्ञान और तकनीकी के माध्यम से आसान हो गया है जिसमें काटने पीटने की ज़रूरत नहीं होती. लेकिन वैरिकोज़ वेंस का इलाज प्राकृतिक रूप से भी संभव है।
मकड़ी नसों / वेरीकोज वेन के कारण : ख़राब दिनचर्या और व्यायाम तथा अच्छे खानपान की कमी से भी ये समस्या होती है। घंटो तक बैठे रहना, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक जंक फूड खाना, गर्भावस्था, लम्बे समय तक कब्ज आदि के कारण भी नसों में उभार आ सकता है। भारी वजन उठाने या कठिन अभ्यास करने से भी ये समस्या हो सकती है। विटामिन-सी की कमी से आने वाली कमजोरी से भी ऐसा हो सकता है। किसी किसी में लीवर की खराबी, हृदय रोग और गठिया की वजह से भी ये होता है।

कई बार ज़्यादा वज़न उठाने और काफी कठोर व्यायाम करने से पैरों पर अत्याधिक दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से इन नसों की उत्पत्ति होती हुई देखी जा सकती है। आनुवांशिकता भी एक ऐसा कारण है, जिसकी वजह से वेरिकोज़ नसों की समस्या पैदा हो सकती है। ऐसा भी कई बार पाया गया है कि दिल के दौरे, गुर्दे की किसी बीमारी और ट्यूमर की वजह से भी शरीर में वेरिकोज़ नसें उत्पन्न हो जाती हैं।

ज्यादातर लोग इसके बारे में जागरूक न होने के कारण इस पर ध्यान नहीं देते जबकि आज के समय में 10% लोग वेरीकोज वेन्स से म पीड़ित हैं। महिलाओं में यह संख्या पुरुषों की अपेक्षा और भी अधिक है, यदि मकड़ी नसों समस्या का इलाज न किया जाये इससे बेचैनी, खिंचाव, पैरों में सूजन, खुजली जैसी परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं।

लक्षण:
 ऐसी समस्या पुरुषों से अधिक महिलाओं में पाई जाती है। इसकी वजह से जरुरी नहीं कि सबको परेशानी हो पर कुछ लोगों में पैरों में सूजन, खून का जमना, त्वचा का रंग बदलना जैसी गंभीर समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही त्वचा का सूखना, खुजली होना और त्वचा का फटना जैसी परेशानियाँ भी हो सकती हैं।

कुछ अन्य कारण : 

• नसों के वाल्व का ठीक से काम न करना।

महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण। मोटापे के कारण भी नसें सूज जाती हैं।

आनुवांशिकता भी एक कारण हो सकती है। बढ़ती उम्र के कारण वाल्व का ठीक से काम न करना और साथ ही नसों में खून के भरने से सूजन आ जाना।

जब वाल्व्स ठीक से कार्य नहीं करते तो रक्त धमनियों में ही रहता है, जिसकी वजह से इसमें सूजन आ जाती है और वेरिकोज़ नसों की समस्या उत्पन्न हो जाती है। त्वचा की सतह पर दिखने वाली छोटी नसों को स्पाइडर नसें कहा जाता है।

उम्र के साथ नसें अपनी लचक खोती रहती हैं। इन नसों के वाल्व्स कमज़ोर हो जाते हैं और दिल में रक्त जाने में समस्या उत्पन्न हो जाती है। ये धमनियां नीली इसलिए दिखती हैं, क्योंकि इनमें ऑक्सीजन से रहित खून होता है जो फेफड़ों से सारे शरीर में जाने की प्रक्रिया में होता है।

यौवन आने पर, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति की अवस्था में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसकी वजह से वेरिकोज़ नसें दिखने लगती हैं। कई बार हार्मोनल पूरक उत्पाद और गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से भी ये धमनियां वेरिकोज़ नसों में बदल जाती हैं।
मकड़ी नस / वेरीकोज वेन्स की घरेलू चिकित्सा:

आहार - विटामिन, मिनरल्स, लो फैट और कार्बोहाइड्रेट से युक्त संतुलित आहार लें। जंक फूड, आइसक्रीम, तम्बाकू, अल्कोहल, अधिक शक्कर एवं नमक जैसी चीजों से दूर रहें।

वर्जिश - नियमित तौर पर व्यायाम करें।

कपड़े - तंग कपड़ों को पहनने से बचें खासकर टाइट जूते और मोज़े

अरंडी का तेल- अरंडी के तेल से मालिश करें। यह तेल रक्त के बहाव को बढ़ाता है और सूजन को कम करता है। इसमें उपस्थित विटामिन B नसों को

अमरुद - अमरुद मजबूती देता है। जरूर खाएं,
घंटो तक न बैठे रहें और न खड़े रहें अगर ऐसा करना पड़े तो पैरों की स्थिति को थोड़े थोड़े समय में बदलते रहें।

भारी वजन उठाते समय पैरो की स्थिति सही रखें। • संतरे जैसे फल जिनमे विटामिन C होता है, अवश्य खायें।

सरसों का तेल - इस तेल से दिन में दो बार मालिस करने से रक्त परिसंचरण ठीक रहता है व नसों के वाल्व ठीक से काम करते हैं।

संतुलित खानपान ग्रहण करने से कोई भी बीमारी आपको छू भी नहीं पाती तथा आप एक स्वास्थ्यकर जीवन व्यतीत कर पाते हैं। लाभदायक सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, मछलियाँ आदि काफी मात्रा में ग्रहण करें।

लहसुन, अदरक और प्याज का सेवन अच्छे से करने पर भी काफी लाभ होता है, क्योंकि ये एंटीऑक्सीडेंटस की तरह कार्य करते हैं।

चीनी, आइसक्रीम आदि से दूर रहें, क्योंकि इनसे भी वेरिकोज़ नसों की समस्या हो सकती है। शारीरिक व्यायाम जैसे चहलकदमी, तैराकी, साइकिलिंग आदि को
अपनाएं और इस समस्या से दूर रहें।

लम्बे समय तक कुर्सी पर बैठकर काम करने से भी ये समस्या हो सकती है। छोटे छोटे अंतराल लें, घूमने जाएं, हल्का व्यायाम करें और शरीर को चलायमान बनाए रखें। इन सब चीज़ों के फलस्वरूप आपको वेरिकोज़ नसों की समस्या नहीं सताएगी।

वेरिकोसे नसों की त्वचा खुजली युक्त होती है और इसीलिए इसे खुजलाने का प्रयास ना करें। इससे खून निकलने और अलसर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

वैरिकोज वेन्स के लक्षण दिखाई देने पर इससे संबंधित डॉक्टर / फैमिली डॉक्टर से चिकित्सा परामर्श लें।

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