महामारी काल में, बुखार छुपाये नही जॉच कराएं


महामारी काल में, बुखार छुपाये नही जॉच कराएं

प्रायः यह देखा जा रहा है कि कुछ लोगों को बुखार है हल्का-फुल्का आ जा रहा है तो व्यक्ति इस डर से अपने चिकित्सक को या निकटतम फीवर क्लीनिक/अस्पताल में इसलिये नहीं दिखा रहा कि कहीं कोरोना हुआ तो भर्ती होना पड़ेगा या दो हफ्ते के लिये आइसोलेशन में जाना पड़ेगा या यह सोच रहा है कि हमें तो पहले भी बुखार/ खाँसी आती थी इस सीजन में और वह अपना सभी काम-काज पहले अनुसार कर रहा है चूँकि फिलहाल उसे कोई गम्भीर लक्षण नहीं हैं परन्तु यह ध्यान रखें कोरोना में कुछ व्यक्तियों में 7 वें दिन से 12 वें दिन तक कभी भी स्थिति पलट सकती है और संक्रमण फेफड़ों तक पहुँचकर खून में आक्सीजन कम कर घातकता पैदा कर सकता है और यदि कोई गम्भीरता नहीं भी आयी तो भी आप अपने परिवार को एवं मिलने-जुलने वालों को लगातार संक्रमित करते रहेंगे इसलिये कोई भी बुखार या स्वास्थ्य खराब का लक्षण जैसे गंध और स्वाद न आना भी दिखे तो तुरन्त विशेषज्ञ से जाँच करवानी है, उन
लक्षणों को पालना नहीं है। कोरोना कि सटीक दवा या वेक्सीन भले ही अब तक

न आयी हो परन्तु तुरन्त लक्षण आधारित उपचार से अधिकांश मरीज स्वस्थ्य हो रहे हैं और आजकल तो कुछ राज्यों में मरीज का इलाज अस्पताल के स्थान पर घरों में ही करने की व्यवस्था सरकारी गाईड लाईन के अनुसार दवा एवं सावधानियों के साथ प्रारम्भ कर दी गई है। केवल गम्भीर या पुरानी बीमारियों के रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की या ऑक्सीजन, वेंटीलेटर की आवश्यकता हो सकती है, हर कोरोना मरीज को नहीं। इसलिये कोरोना संक्रमित हो जाने पर डरना नहीं हैं, घबराना भी नहीं है बल्कि अपने सम्पर्क में आये सभी व्यक्तियों को सूचित अवश्य करें ताकि वे एलर्ट होकर आइसोलेशन में चले जायें या अपनी जाँच करा लें। ऐसा इसलिये करना जरूरी है ताकि ऐसे लोगों द्वारा उनके परिवार एवं मिलने-जुलने वालों तक कोरोना आगे न पहुँचे और सभी सरकारी प्रोटोकाल का पूरा पालन करें।


     इस महामारी मे ऑक्सीमीटर घर में रखें


जब से कोरोना फैलना प्रारम्भ हुआ है तब से ऑक्सीमीटर नामक इस छोटे से यंत्र की माँग बढ़ गई है।
 उपयोग – 
इसका उपयोग ब्लड में ऑक्सीजन का प्रतिशत जानने के लिये होता है।

कीमत - 800/- से 3000/ तक हो सकती है।

गारन्टी - पक्के बिल के साथ एक साल की गारन्टी वाला ही खरीदें।

रीडिंग - स्वस्थ्य व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल प्रायः -
94% से 100% तक आता है। साँस के पुराने मरीजों में ये 88% से 93% तक पहले से ही हो सकता है इसलिये पूर्ण स्वस्थ्यता में ही अपना ऑक्सीजन लेवल एवं ऑक्सीमीटर मशीन को जाँच लेना चाहिये।

हमेशा सामान्य रहने वाले आपके ऑक्सीजन प्रतिशत में 3% की गिरावट दिखने पर गम्भीर स्थिति पैदा होने के पूर्व ही विशेषज्ञ डॉक्टर या ऑक्सीजन की व्यवस्था वाले अस्पताल से सम्पर्क करें।

खून में ऑक्सीजन की कमी घातक हो सकती है। जिसके लक्षण साँस फूलना भी कभी-कभी नहीं आते,
अतः इस मीटर से नापना चाहिये विशेषकर कोविड, फेफड़े, हार्ट के मरीज के लिये उपयोगी है।

इस ऑक्सीमीटर से पल्स भी पता चलती है। आराम की स्थिति में 60 से 100 तक प्रति मिनिट नार्मल मानी जाती है, 60 से कम और 100 से अधिक रहने पर डॉक्टरी सलाह अवश्य लें।

इस मीटर को हाथ की अंगुली में चित्र अनुसार फँसाया जाता है परन्तु कभी-कभी रीडिंग गलत आने के निम्नलिखित कारण भी हो सकते हैं -

(1) अंगुली  गीली, गंदी, पसीना युक्त ठंडी हो या नेल पालिस लगी हो। 

(2) उपकरण सही तरीके से न फँसाया हो या आधा से एक मिनिट न लगाया हो। 

(3) हाथ या अंगुली में ब्लड सरकुलेशन में कोई दबाव हो या रुकावट हो। 

(4) उपकरण सही न हो या खराब क्वालिटी का हो या बैटरी समाप्त हो गई हो। 

(5) रीडिंग में 2% प्लस-माईनस की errorभी हो सकती है।

रीडिंग सही न आने पर दोनों हाथों की अंगुली में भी चेक करके देखें । रीडिंग लेते वक्त स्थिर रहें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ