चिकुनगुनिया वायरल बुखार
यह एडीज मच्छर के काटने से होने वाला वायरल बुखार है। जो संक्रमित मच्छर के काटने के बाद प्राय: 2 से 3 दिन में चढ़ता है ये अवधि 1 से 12 दिन भी हो सकती है।
इसके निम्नलिखित लक्षण हैं :
(1) चकत्तों के साथ या इनके बगैर सूजन
(2)सिर दर्द, उल्टी, प्रकाश से चुभन
(3) जोड़ों के दर्द, शरीर का विशेष प्रकार से आगे की ओर झुकना और इनके साथ एक से तीन दिन तक बुखार । बुखार अचानक बढ़ जाता और 39°C से 40°C (102° से 104° फेरन हीट) तक पहुँच जाता है इसके साथ बीच-बीच में कंपकपाने वाली ठंड लगती है। यह तीव्र अवस्था दो या तीन दिन रहती है। जोड़ों का दर्द मुख्यतया हाथों, कलाइयों, कोहनी, टखनों तथा पैरों के छोटे-छोटे जोड़ों में होता है। इसमें बड़े जोड़ कम प्रभावित होते हैं। सुबह के फिरने में दर्द बहुत अधिक होता है, जो हल्की कसरत समय चलने द्वारा कम हो जाता है, किन्तु कठिन कसरत से यह और भी बढ़ जाता है। इसमें सूजन भी हो सकती है किन्तु द्रव (फ्लूइड) का जमाव नहीं देखा जाता। तीव्र लक्षण प्रायः दस दिनों से अधिक नहीं रहते। रोग के कम असर वाले रोगी प्रायः कुछ सप्ताहों में रोग के लक्षणों से मुक्त हो जाते हैं किन्तु अधिक गम्भीर रोगियों को पूर्णतया ठीक होने में कई महीने तक लग जाते हैं।
चिकुनगुनिया का उपचार
इस रोग की भी कोई - विशिष्ट दवा नहीं है। ये प्रायः सीमित समय के लिये होता है और कम घातक है एवं समय के साथ ठीक होता है। इस रोग में भी एस्प्रिन तथा स्टीरायड दवाओं के सेवन से बचना चाहिये। शरीर में पानी एवं तरल की पूर्ति के साथ अन्य दवा पैरासिटामाल, डिक्लेफेनाक सोडियम, क्लोरोक्विन जैसे एनाल्जेसिक, एंटीपाइरेटिक्स लेने की सलाह संक्रमण का उपचार करने तथा ज्वर, जोड़ों के दर्द तथा सूजन से मुक्ति दिलाने के लिये दी जाती है। नैदानिक तौर पर किसी एंटी वाइरल का प्रयोग नहीं किया जाता है। क्लोरोक्विन 250 mg द्वारा अर्थाराइटिस के लक्षणों में सुधार पाया गया है परन्तु नियंत्रित अध्ययन की जरूरत है, दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें।
Malaria fiver(मलेरिया बुखार)
ये बुखार संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने के 10 से 14 दिन बाद प्रकट होता है। ये दो प्रकार का होता है, पी. विवाक्स (वाइवेक्स) एवं पी. फाल्सीफेरम और इन दोनों के इलाज की विशिष्ट दवा है।
पी. विवाक्स - यह मलेरिया हल्का होता है लेकिन पी. फाल्सीफेरम मलेरिया एक गम्भीर बुखार है क्योंकि, तत्काल उपचार न किये जाने पर इससे जटिलतायें और मौत भी हो जाती है। इसके अतिरिक्त ये क्लोरोक्वीन के प्रति प्रतिरोध भी दर्शाता है। मलेरिया छोटे बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिये विशेष तौर पर खतरनाक है।
मलेरिया बुखार के लक्षण :
(1) बहुत ठंड लगती है और शरीर कांपता है।
(2) त्वचा ठंडी पड़ती है।
(3)बुखार तेजी से 102 से 106 डिग्री फेरेनहीट तक
पहुँच जाता है। मरीज कोमा में भी जा सकता है।
(4) जी मिचलाता है, उल्टी होती है।
(5)सिर दर्द होता है, जो धीरे-धीरे तेज हो जाता है।
(6)पसीना देकर बुखार उतर जाता है।
मलेरिया बुखार में गम्भीर स्थिति :
कभी-कभी मलेरिया बुखार प्राणघातक हो सकता है। और यदि निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो रोगी को तत्काल अस्पताल ले जाना चाहिये
• बहुत तेज बुखार, व्यवहार में परिवर्तन (ऐंठन के दौरे) चेतना शून्यता, निद्रा, भ्रम, चलने, बैठने, बोलने या लोगों को पहचान करने में असमर्थता।
• दवा खाने, खाना खाने या पानी पीने में असमर्थता,बार-बार उल्टी करना।
• गम्भीर अतिसार (पानी जैसे दस्त) व निर्जलीकरण ।
• मूत्र का कम आना या नहीं आना या काला आना।
• वजन में अचानक कमी, ढीली त्वचा, आँखों का धसना तथा शुष्क मुँह।
• खून की कमी (पीली आँखें व त्वचा) के कारण तुरन्त थकावट दौरे/ऐंठन तथा चेतना की कमी।
• नाक, मसूढ़ों तथा अन्य स्थानों से अकारण अत्याधिक रक्तस्त्राव।
उपरोक्त सभी लक्षण खतरनाक मलेरिया के सूचक हैं। इनमें से कोई भी लक्षण होते ही तत्काल अस्पताल या निकटतम क्लीनिक में मरीज को ले जायें अन्यथा प्राण जाने का खतरा हो सकता है।
मलेरिया का उपचार -
दोनों प्रकार के मलेरिया को उपचार से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। मलेरिया भी उपचार न कराने या पूरा दवा का कोर्स न लेने पर गम्भीर या प्राणघातक हो सकता है अतः इसके उपचार में भी कोई लापरवाही न बरतें। मरीज को ज्यादा से ज्यादा तरल एवं फलों के रस तथा हल्के भोजन की पूर्ति बनाये रखें और तुरन्त डॉक्टर की सलाह से इलाज शुरु करें।
जापानिज इनसिफेलाइटिस
ये रोग धान की खेती वाले क्षेत्रों में ज्यादा देखने मिलता है। संक्रमित क्यूलेक्स ट्राइटिनोरिंकस मच्छर के काटने के 5-15 दिन में ये बुखार प्रकट होता है।
लक्षण -
• सिर दर्द
• तेज बुखार
• गर्दन अकड़ना
• भ्रम होना
• बेहोशी
• हाथ-पैर काँपना
• झटके आना व लकवा मार जाना आदि लक्षण होते हैं,जो गम्भीर हैं। तुरन्त इलाज न लेने पर मौत भी हो सकती है।
उपचार –
इस बीमारी की कोई विशिष्ट दवा नहीं है चिकित्सक द्वारा लक्षण आधारित उपचार किया जाता है ताकि मरीज की जान बचाई जा सके।
Dengue
उपरोक्त बुखार निम्नलिखित कारणों से नहीं फैलते
• छूत से
• गंदी या ठंडी हवा से
• गंदे पानी से
• खराब भोजन से
• वर्षा में भीगने से
• कचरा के ढेर से
• भूत पलीतों से
•मौसम परिवर्तन से
•ऊपरी चक्कर से।
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