DEFERENCE BETWEEN PROKARYOTIC AND EUKARYOTIC cell

DEFERENCE BETWEEN PROKARYOTIC AND EUKARYOTIC cells
Deference between prokaryotic and eukaryotic cells



प्रोकेरियोटिक कोशिका (Prokaryotic Cell) :


कोशिका जो नग्न आनुवाशिंक पदार्थ अर्थात् झिल्ली विहिन केन्द्रक युक्त होती हैं, प्रोकेरियोटिक कोशिका कहलाती है. यह समूह जीवाणु, नील हरित शैवाल माइकोप्लाज्मा द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इनमें निम्नलिखित लक्षण पाये जाते हैं-

(i) सुकेन्द्रकी कोशिकाओं के सम 'ये भिन्न आकार व आकृति वाली होती हैं परन्तु आकार में उनसे छोटी है व तीव्र विभाजन दर्शाती हैं।

(ii) आनुवाशिंक पदार्थ जीनोफोर/न्यूक्लियोइड कहलाता है। 

(iii) जीनोमिक-DNA वलयाकार है तथा एकल गुणसूत्र कहलाता हैं।

(iv) जीनोमिक-DNA के अतिरिक्त कुछ जीवाणुओं में छोटा वलयाकार DNA भी पाया जाता है, जिसे प्लाज्मिड कहते हैं। यह जीवाणुओं को प्रतिजैविक प्रतिरोधी बनाता है तथा जीवाण्वीय रूपान्तरण के लिये उत्तरदायी है।

(v) प्राक्केन्द्रकी कोशिका का आवरण तीन परतो-बाह्य ग्लाइकोकेलिक्स, मध्य कोशिका भित्ति व अन्तः कोशिका झिल्ली से निर्मित होता है।

(vi) यदि ये आवरण ग्राम-रंजक से अभिरंजित होते है तो जीवाणु Gm(+) अन्यथा Gm (-) कहलाते हैं। (vii) ग्लाइकोकेलिक्स, एक पॉलीसेकेराइड आवरण यो तो ढीला-ढीला आवरण अवपंकी परत या मोटी व दृढ़ संरचना केप्सूल बनाता हैं।

(vii) कोशिका झिल्ली विस्तरण जैसे वेसिकल, ट्यूब्यूल तथा पटलिका न केवल कोशिका भित्ति निर्माण, DNA प्रतिलिपिकरण, स्त्रवण, सतही क्षेत्रफल में वृद्धि में सहायक है बल्कि विशिष्ट कार्यों हेतु विशिष्ट संरचनाये भी बनाता है जैसे-मीजोसोम श्वसन

के लिये (माइटोकॉण्ड्रिया का समवृति) तथा क्रोमेटोफोर प्रकाश संश्लेषण के लिये (हरितलवक का समवृत्ति) हैं। (ix) कोशिकाभित्ति का तन्तुनुमा विस्तरण कशाभिका कहलाता है। जो कि तन्तु, हुक तथा आधरीकाय से निर्मित है तथा गमन में सहायक है।

(x) इसके अतिरिक्त जीवाणुओं की सतह पर पाई जाने वाली संरचना रोम व झालर इनकी गति में सहायक नहीं होती है। रोम लंबी नलिकाकार सरचना होती है, जो विशेष प्रोटीन की बनी होती है। झालर लघुशूक जैसे तंतु है जो कोशिका के बाहर प्रवर्धित होते हैं। कुछ जीवाणुओं में, यह उनको पानी की धारा में पाई जाने वाली चट्टानों व पोषक ऊतकों से चिपकने में सहायता प्रदान करती हैं।

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