डेंगू वायरल बुखार
ये एडीज एजिप्टी प्रजाति के संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाला वायरल बुखार है जो मच्छर के काटने के 4 से 6 दिन बाद चढ़ता है। बुखार लगभग 1 सप्ताह तक रहता है।
डेंगू बुखार के लक्षण निम्नानुसार हैं:
(1) शरीर के तापमान में अचानक तेजी से वृद्धि जो प्रायः अन्य वायरल बुखार के समान होता है, इसके साथ शरीर में चकत्ते भी होते हैं।
(2) तेज सिर दर्द एवं लाल चेहरा होना।
(3) पीठ दर्द, माँसपेशियों तथा जोड़ों/हड्डियों में अत्याधिक तेज दर्द, जिस कारण इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है।
(4) आँखों को हिलाने में दर्द, रोशनी से चकाचैंध (चुभन)|
(5) चेहरे, गले तथा छाती पर छुटपुट चकत्ते या तीव्र चुभन वाले फोड़े-फुंसी इसके बाद तीसरे या चौथे दिन स्पष्ट चकत्ते दिखना।
(6)स्वाद का बदलना, गले में कष्ट, मितली तथा उल्टी, सामान्य अवसाद (डिप्रेशन) इत्यादि।
यदि कोई जटिलता जैसे की बहुत तेज बुखार, काला मल एवं नाक, मसूड़ों से रक्त स्त्राव की प्रवृत्ति हो तो डेंगू जानलेवा हो सकता है। ऐसे में मरीज को तत्काल अस्पताल में दाखिल किये जाने की जरूरत रहती है।
डेंगू का उपचार रोग को ठीक करने की कोई विशिष्ट दवा नहीं है चिकित्सक द्वारा केवल लक्षण आधारित उपचार किया जाता है ताकि मरीज की जान बचाई जा सके। शरीर के तापक्रम को 39°C (102°F) से नीचे रखने के लिये पैरासिटामोल की गोलियाँ का सेवन एवं माथा सहित हाथ-पांव को सामान्य ठंडा पानी के कपड़े से पोछने की सलाह बुखार नियंत्रण हेतु, साथ ही भरपूर पानी, अन्य तरल, घर में ही निकाले गये फलों के रस पीने की, तेलीय भोजन न करने की और पूर्ण आराम की सलाह चिकित्सक देते हैं, आराम न करने पर बुखार रिपीट हो सकता है।
इस रोग में एस्प्रिन या एंटी इन्फलामेटरी दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिये, अन्यथा रक्तस्त्राव अधिक हो सकता है। इस बुखार में रक्त प्लाज्मा में कमी आती है जिसकी समुचित पूर्ति शरीर में समय पर न किये जाने एवं बुखार को कंट्रोल न करने पर रोग घातक हो सकता है।
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